ऐ परिंदे
ऐ परिंदे
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ऐ परिंदे कभी नीचे आसमान से आ
वक्त हो तो घर मेरे किसी शाम को आ,
बिखरे दाने को ढूंढने का हुनर है तेरे पास
जिंदगी मेरी बिखरी है, जा ढूंढ़ के ला
ऐ परिंदे कभी नीचे आसमान से आ।
उड़ता है बेफिक्र पंख भी हैं तेरे पास
मेरे भी सपनों को अपने संग तू उड़ा,
ऐ परिंदे कभी नीचे आसमान से आ।