STORYMIRROR

RAJ KUNWAR DUBEY

Romance

2  

RAJ KUNWAR DUBEY

Romance

एकांत

एकांत

1 min
131

कोलाहल भरे संसार में कहीं एकान्त हो।

मैं रहूं, वो रहें चहुं ओर सब कुछ शांत हो।

साथ उनके बैठ कर बस अनकहा वृत्तांत हो।

कुछ हम कहें कुछ वो कहें और बात का न अंत हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance