STORYMIRROR

दिनेश कुशभुवनपुरी

Romance

4.7  

दिनेश कुशभुवनपुरी

Romance

नेह निमंत्रण

नेह निमंत्रण

1 min
434


पाकर नेह निमन्त्रण रति का

मदन हुआ फिर से मधुमास।

पिया मिलन की आस नयन में

जाग उठी लेकर नव प्यास।।


प्रेम सुधा रस बरसाने को

नव बसंत फिर लाया प्यार।

पतझड़ छाया जो जीवन में

दूर करेगी उसे बहार॥

पुष्प सुगन्धित महक उठा फिर

लगा कन्हैया रचने रास।

पाकर नेह निमंत्रण..............॥


कलियों से अठखेली करता

मस्त पवन तो सारी रात।

इठलाकर फिर पुष्पों ने भी

खोले अपने कोमल गात॥

नटखट भौंरों की गुंजन से

उठता है मन में उल्लास।

पाकर नेह निमंत्रण.........॥


हुई तरंगित दसों दिशाएं

झंकृत हुआ हृदय का द्वार।

प्रियतम से मिलने की बेला

मन में बजने लगा सितार॥

धवल चाँदनी रातें फिर से

ले आती निर्मल अहसास।

पाकर नेह निमंत्रण............॥


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance