धूप यादों की
धूप यादों की
याद क्यों मिटती नहीं खोये सितारों की।
क्यों महक जाती नहीं सोये गुलाबों की॥
राह का पत्थर समझकर मार दी ठोकर।
इश्क ने खुद ही बिछायी सेज काँटों की॥
रात दिन सज़दे किये जिस प्यार की खातिर।
कद्र उसने की नहीं मेरे दुवाओं की॥
प्रेरणा मुझको मिली थी हर कदम जिनसे।
क्यों किये टुकड़े उन्होंने भावनाओं की॥
साज कैसे बज सकेंगे गीत जब ग़ुम है।
शायरी भी खो रही दिलकश ख़यालों की॥
रात जागी फिर रही गुमसुम उदासी में।
ढूँढ़ता बेचैन हो दिन धूप यादों की॥
अब सुनेगा कौन मेरे दिल की धड़कन को।
तुम नहीं तो व्यर्थ हैं बातें बहारों की॥