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दिनेश कुशभुवनपुरी

Inspirational

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दिनेश कुशभुवनपुरी

Inspirational

बहुत खोया बहुत पाया

बहुत खोया बहुत पाया

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नदी की धार में चलकर निकलना आ गया हमको।

समंदर के लहर में भी ठहरना आ गया हमको॥


थपेड़े जिंदगी में हर कदम झेले यहाँ हमने।

हवा में भी सलीके से थिरकना आ गया हमको॥


बुझे मन से नहीं जीना जमाने के झमेलों में।

किसी भी हाल में अब तो चहकना आ गया हमको॥


बहुत खोया बहुत पाया अभी तक जिंदगी में मैं।

कहाँ कब क्या किया जाए परखना आ गया हमको॥


नहीं सँग सँग चले मेरे अगर अब साथ कोई भी।

अकेले ही किसी पथ पर टहलना आ गया हमको॥


बहारों बात सुन लो ये न इतराओ स्वयं पर तुम।

तुम्हारे बिन चमन में अब महकना आ गया हमको॥


किसी की याद में तड़पूं गवारा है नहीं सुनिए।

हुई नादानियों से अब निखरना आ गया हमको॥


घटाएँ छा रही काली बिना बरसात जीवन में।

बिना पग डगमगाए ही निपटना आ गया हमको॥


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