गज़ल- आशियाना
गज़ल- आशियाना
इश्क का बस इक इशारा चाहिए।
आशियाना फिर बनाना चाहिए॥
जिंदगी में जब बढ़े दुश्वारियां।
आशिकों को तब सहारा चाहिए॥
हर तरफ दिखने लगे जब फूल तो।
इश्क को फिर से महकना चाहिए॥
हुश्न की तौहीन कोई जो करे।
जोर का उसको तमाचा चाहिए॥
इश्क बिन है जिंदगी सूनी सड़क।
हर सफर में साथ सच्चा चाहिए॥
पर बिना परवाज़ चढ़ता इश्क तो।
दम मुकम्मल हौसले का चाहिए॥
इश्क से चलता यहाँ हर कारवाँ।
जीत लें दिल बस इरादा चाहिए॥
रूह तक पहुँचे वही तो इश्क है।
बस इसे महफ़ूज रखना चाहिए॥