सच मे मनुष्य प्रकृति के इतना करीब मुद्दत बाद आया है। सच मे मनुष्य प्रकृति के इतना करीब मुद्दत बाद आया है।
जब मैंने सोचा जब मैंने चाहा तुम्हे ही पास पाया! जब मैंने सोचा जब मैंने चाहा तुम्हे ही पास पाया!
निराशा और हार की भय से, समय के थपेड़ों में, कर्तव्य पथ पर, यदि तू भूल गया अपना पु निराशा और हार की भय से, समय के थपेड़ों में, कर्तव्य पथ पर, यदि तू भू...
मेरी ख्वाहिशें मुझे अक्सर ठगा करती हैं, गलत राह पर चलने को मना करती हैं। मेरी ख्वाहिशें मुझे अक्सर ठगा करती हैं, गलत राह पर चलने को मना करती हैं।
मैं संकल्प सुहागन का मैं विश्वास बहना के मन का मैं संकल्प सुहागन का मैं विश्वास बहना के मन का