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संजय असवाल "नूतन"

Inspirational

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संजय असवाल "नूतन"

Inspirational

रुकना नहीं, चलते रहना

रुकना नहीं, चलते रहना

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निराशा और हार की भय से,

समय के थपेड़ों में,

कर्तव्य पथ पर,

यदि तू भूल गया अपना पुरुषार्थ,

तो याद रख,

पीछे हटना कायरता होगी,

हर मौत से भी बदतर होगी।

मन में उमंगों के दीप जला,

दृढ़ संकल्प खुद से कर ,

तू उठ खड़ा ना घबरा,

रुकना नहीं, चलते रहना।


बादलों को चीर कर,

नदियों का रुख मोड़ कर,

पर्वतों से टकरा कर,

कर्तव्य पथ पर राह बना,

तू कर्म करते रहना, ना थकना,

ना तू रुकना,बस चलते रहना।


जीवन कष्टों से भरा है माना,

यहां पग -पग पर संघर्ष है,

डूबने का भय है,

घाव असंख्य होंगे जब शरीर पर,

तू फिर भी उम्मीद कि आस लिए,

दिल में हौसलों की मशाल लिए,

आगे बढ़, अंधकार स्वत: ही मिट जायेगा,

जब टपके पसीना तेरे माथे से,

निराश यदि तू हो गया,

खुद से ही हार मान गया,

तेरे ही तुझ पर लानत देंगे,

हंसेगा तुझ पर फिर ये जग सारा,

फिर तू जी ना पाएगा,

कैसे खुद से आंखे मिलाएगा?

तू उठ खड़ा, रुकना नहीं चलते रहना,

यदि संघर्षों के साए में,

तू हार भी गया, तू मिट भी गया,

मंजिलों को तय करते करते,

मान तेरा फिर बढ़ जाएगा,

यश गान ये जग फिर गाएगा,

तू उठ खड़ा,रुकना नहीं चलते रहना।


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