देवी स्वरूपा
देवी स्वरूपा
नारी तुम हो शक्तिशाली ,
लक्ष्मी सरस्वती और हो काली।
तुम बिन लगता घर वीरान,
सहज के रखो तुम हर सामान।
तुमसे ही है होली दिवाली,
तुम से ही घर में किलकारी ।
तुम पर है सबको अभिमान,
दोनों कुल की तुम हो शान।
ममता तुम में, स्नेहा तुम में,
सुशील व्यवहार की तुम हो खान।
शिल्पकार की रचना तुम,
सकरात्मक अनुभूति देती तुम।
क्षमता तुम में है बहुत,
खुद को अब पहचानो तुम।
देश का नाम करो तुम रोशन ,
नए युग की शान हो तुम।।
