काश !
काश !


काश! का है जो एहसास
वह होता है सब के पास
बचपन से ही काश! साए की तरह
बुढ़ापे तक साथ निभाता है
वक्त के साथ काश! भी बदलता जाता है
काश! मैंने मेहनत की होती तो आज मैं डॉक्टर होता
काश! मैंने अपनी सेहत का ख्याल रखा होता
तो मेरा बुढ़ापा खराब ना होता
काश! मैंने अपनों से उम्मीद ना की होती
तो मेरा दिल आज इतना ना दुखता
पर क्या हमने अपने काश! को
हकीकत में बदलने की कोशिश की
शायद नहीं क्योंकि जब हमें एहसास हुआ उस काश! का
तब तक हम निकल गए थे दूर कहीं
जब भी अंतर्मन को तन्हा पाया है
ना जाने कितने काश! का घेरा सजाया है
काश! हम काश! कभी ना कहें
अपने हर सपने पूरे कर सकें
अरे! यह क्या इस सोच पर भी काश! ने अपना हक जमाया है
कभी सोचती हूं यह काश! कहां से आया है