मां तुम बदल गई हो
मां तुम बदल गई हो


कितना नकारात्मक लगता है ना
यह वाक्य पर सच में मां तुम बदल गई हो
मेरे ससुराल वालों के सामने
मुझे ” मिनी” कहकर नहीं पुकारती हो
हां मां तुम बदल गई हो
हमारे आ जाने पर लड़खड़ाते पैरो से
रसोई में जाकर हमारी पसंद का खाना बनाती हो,
जब हम पूछते हैं पैरों में दर्द कैसा है
"बिल्कुल ठीक है“ यह बताती हो।
मां अब झूठ बोलना भी सीख गई हो
मां तुम बदल गई हो
जब सारा काम निपटा लेती हो
तब हमारी नजरों से छुप कर,
हथेलियों का सहारा लेकर
घुटनों को सहलाती हो और
धीमी आवाज में कराहकर बैठ जाती हो।
मां अब बातें छुपाना भी सीख गई हो,
मां तुम बदल गई हो
“याददाश्त कमजोर हो गई है मेरी ”
यह कहकर दवाई लेना भूल जाती हो
फिर कैसे हम सबकी पसंद नापसंद
को इतना याद रख पाती हो।
हमारे चेहरे पर मुस्कान देखने के लिए
बातें घुमाना सीख गई हो।
हां मां तुम बदल गई हो।