कहाँ से लाऊं ?
कहाँ से लाऊं ?


लाडो, बब्बो कहने वाली वो "अम्मा" कहाँ से लाऊं
हज़ारों आशीर्वाद देने वाले वो हाथ कहाँ से लाऊं
नानी के घर में नानी नहीं वो नानी का घर कहाँ से लाऊं
पंचतत्व में जो विलीन हो गयी वो " अम्मा " कहाँ से लाऊं
सुनहरे "लम्हें ज़िन्दगी के" जो बिताये नानी के साथ
रखती थी जब वो सर पर प्यार भरा हाथ
मानो होती थी दुआओं की बरसात
कविता सुनाने पर झट से बटुआ खोलती थी
और आशीर्वाद के साथ साथ इनाम भी देती थी
वो आधी अधूरी कविता सुनकर खुश होने वाली अम्मा कहाँ से लाऊं
जो पंचतत्व में विलीन हो गयी वो नानी कहाँ से लाऊं
यादें है किस्से है सब कुछ है, बस नहीं है उनका साथ
"लम्हें ज़िन्दगी के "जो बिताये उनके साथ आते है पल पल याद।