तेज रफ़्तार
तेज रफ़्तार


तेज रफ़्तार जब करे जिंदगी पर वार…
जिंदगी नहीं देती मौका बार बार…..
ना मिलती फिर जिंदगी उधार….
तेज रफ़्तार जब करे जिंदगी पर वार…..
कुल ब्लू जैकेट और रग्ड जीन्स पहनकर जब वो निकलता था…
अपने से दोगुनी वजन वाली बाइक पर चढ़ता था…
मां बेचैन निगाहों से जब तक ओझल ना हो जाए निहारती रही…….
आराम से चलाना बस यही बार-बार कहकर पुकारती रही……
मुझे लगता है बाइक में चाबी लगाते ही शायद कुछ नहीं सुनाई देता……
बस “और तेज़”,”और तेज़”, “और तेज़” यही है गूंजता….
भूल जाते हैं सब घर पर करता है कोई इंतजार…
कोई करता है आपको खुद से भी ज्यादा प्यार…
पीठ दिखाकर बाइक पर जब तुम घर से निकलते थे…
हंसते हुए चेहरे को वापस घर आते हुए देखकर ना जाने कितने चेहरे खिलते थे….
मानती हूं कि नौजवानों मैं गर्म खून उबलता है….
पर क्या यह सिर्फ तेज रफ़्तार से ही पता चलता है…
यूथ अपना जज्बा दिखाओ इस देश को नए ख्वाब दिखाने में……
क्या मजा है तेज रफ़्तार से कम उम्र में गुज़र जाने में…