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Honey Jain

Children Stories

4.5  

Honey Jain

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मैं और मेरा दोस्त

मैं और मेरा दोस्त

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चाय का प्याली से,फूलों का डाली से 

कुछ ऐसा रिश्ता है मेरा और मेरे दोस्त का 


जो कभी था अनजान ,आज मेरा दोस्त कहलाता है 

ना जाने इतना अटूट रिश्ता कैसे बन जाता है 


हर सुख दुख में मेरा साथी है 

हां वो मेरा हमराही मेरा दोस्त मेरा जीवन साथी है 


आंखों की भाषा को पढ़ने में की है पढ़ाई <

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हां हमारी भी होती है प्यार भरी लड़ाई 


मेरे कहने से पहले ही मेरी बात को समझना 

और आंखों की गहराइयों से समझाना कि" मैं हूं ना "


हम बे मतलब की दोस्ती निभाते हैं 

क्योंकि मतलब के यार तो साथ छोड़ जाते हैं 


दोस्त एक शब्द नहीं,है एक जज्बात ,

हमारी दोस्ती में है अपनेपन की बात.


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