एक पाती ऐसी भी
एक पाती ऐसी भी
तुम्हारी खामोशी मुझसे देखी नहीं जाती,
बेरुखी तुम्हारी सही नहीं जाती।
गृहस्थी की गाड़ी के
हम तुम है दो पहिए।
एक भी यदि खराब हो तो
गाड़ी चलाई नहीं जाती।
तुम मुझे ना चाहो
कोई बात नहीं।
तुम मेरे प्रिय हो प्रिय ही रहोगे,
तूम मुझे बाहों में भर लो या
मैं तुम्हें बाहों में भर लूं,
आओ गले मिलकर हम साथ चले।
तुम मेरे भगवान बने और मैं तुम्हें पूजती रही।
तुम्हारे दिखाए रास्ते पर मैं सदा चलती रही।
तुम्हारा साथ पाकर मैं
सदा निश्चल होकर आगे बढ़ती गई।
मुझे एहसास नहीं था
इस बात का तुम भी कभी रूठोगे मुझसे
आपकी इस बेरुखी को
सहन नहीं कर पाएंगे।
गलतियां इंसान से ही होती है
हम कोई कठपुतली या खिलौना नहीं।
मुझसे कहो और एक बार कहो,
तुम मेरी हो किसी और की नहीं।
मैंने चाहा नहीं
कभी किसी से और कुछ भी
मैंने कहा नहीं
कभी किसी से और कुछ भी।
तुम हंसते खिलखिलाते
हुए सदा अच्छे लगते रहे,
तुम हौसला बढ़ाने की बात सदा करते रहे।
किसी और की वजह से फासले क्यों हुए,
हम तो हैं एक दूजे के लिए
फ़िर खामोश हम कैसे रहें।
