मेरी माँ
मेरी माँ
तुमसे ही मां मेरा अस्तित्व,
तुमसे ही है मां मेरी जान।
हर सुख तेरे से है मेरा,
तुझसे मेरी हर मुस्कान।।
तूं ही मेरी वेद रामायण,
तुम ही हो गीता का ज्ञान।
तुम ही हो सार शास्त्रों का,
तुम हो जननी ग्रंथ महान।।
मां मुझको आया आज विचार,
लिखुं मैं तुझ पर शब्द हजार।
सार शब्दों का सभी छुपा है,
शब्द कोष की हो तुम भण्डार।।
मां मेरी हिम्मत मेरा हो साहस,
मेरी ताकत हो तुम मेरी शान।
मेरा गौरव हो मेरा अभिमान,
तुम हो धात्री मेरी ही जान।।
तुमने बनाई तकदीर मेरी मां,
तुझसे मां मेरी पहिचान।
बनाया कुछ तूने मुझे ऐसा,
चाहूं तो छू लुं आसमान।।
तुमसे ही है मां मेरी संस्कृति,
जीवन के सब ही तो संस्कार।
मान सम्मान तुमसे ही मेरा,
तुमसे ही मां आदर सत्कार।।
मां मेरा पथ और मेरी मंजिल,
भविष्य आलोकित हर बार।
मुझे जो ज्ञान दिया तुनें मां,
उसकी केवल तुम हकदार।।
दिया जन्म तुमनें मां मुझको,
जीवन की तुम हो आधार।
मेरी नियति मेरी प्रकृति,
भाग्य विधाता मेरी हर बार।।
मैं हूं तेरी परछाई मां हरदम,
तुम ही हो उसकी पहिचान।
आशीष हमेशां देती रहना मां,
"प्रिया"ममतामयि तुम हो महान।।