मेरी धरती
मेरी धरती
हम सबकी यह प्यारी जननी।
वसुधा धरा भूमि भू अवनी।।
इसका सदा अनमोल उपहार।
हम पर करती सदा उपकार।।
प्राण वायु वृक्षों से है मिलता।
प्राणी मात्र का जीवन चलता।।
मूक हो सभी कष्ट यह सहनी।
वसुधा धरा भूमि भू अवनी।।
अन्न व जल इससे ही मिलता।
जीवन चक्र इससे ही चलता।।
धन सम्पदा है कोख में इसकी।
निधि अमूल्य कीमती जिसकी।।
दुःख हरनी सब मंगल करनी।
वसुधा धरा भूमि भू अवनी।।
घटा घनघोर जो जब जब बरसे।
जीवन इसका तो तब तब हर्षे।।
मणी मेखला है ये रुप विशाला।
वृक्षों का तन पर ओढ़े दुशाला।।
मनवांछित पदार्थ यह दायिनी।
वसुधा धरा भूमि भू अवनी।।
पुलकित पल्लवित इसको बनाएं।
हम प्रदूषण कभी ना फैलाएं।।
लज्जा तन की हम इसकी बचाएं।
वृक्षों को हम हानि ना पहुंचाएं।।
पापों का भार यह सहती धरनी।
वसुधा धरा भूमि भू अवनी।।
सदा वत्सले मातृभूमि कहलाए।
अपनी गोद में हमको खेलाए।।
आओ शपथ हम आज उठाएं।
"प्रिया "पर्यावरण हम बचाएं।।
स्वच्छता है अब सभी को रखनी।
वसुधा धरा भूमि भू अवनी।।
हम सब की यह प्यारी जननी।
वसुधा धरा भूमि भू अवनी
वन्दे मातरम्।