प्रियतमा
प्रियतमा


जब जब मैं अपने सीने से तुझे लगा लूंगा।
सुकून दोनों जहां का एक पल में मैं पा लूंगा
रिहाई कभी मिलेगी नहीं मेरे मोह पाश से तुझे।
मैं तेरी जुल्फों में खुद को इस कदर उलझा लूंगा
तोड़ कर सारी शर्मो हया की दिवार प्रियतमा।
बस तुझे एक पल में अपनी बाहों में भर लूंगा
कोमल अहसास तेरा सदा याद आता रहेगा।
मर भी गया तो भी तेरे सपनों में आता रहूंगा
तेरी झील सी गहरी आंखों में डूब कर मेरी जान।
तेरे दिल की गहराईयों में गोते लगाता रहूंगा
कमसीन सी कोमल इक कली सी हो तुम प्रिये।
मैं मदमस्त भौंरा बन कर मकरंद पीता रहूंगा
सुर्ख लाल लबों पर लगी जो इक बूंद शबनम सी।
मैं बन मधुकर कचनार कली संग जीता रहूंगा।