तुम और प्रेम
तुम और प्रेम
तुम्हें जब देखता हूँ तो खुद को देखने का एहसास होता है। आँखें बड़ी हो जाती है, चेहरे पर मुस्कान और होंठ ख़ुस्क हो जाती है।
बस तुम्हें देखते रहने को दिल करता है, तुम्हारी आँखों पर लिखते रहने का दिल करता है, तुम्हें चूमते रहने का दिल करता है।
लेकिन हर बार हमारे बीच की दूरियाँ हमें याद दिलाती है कि हम कितने मरहूम लोग है जो अपने प्रेम से कोसों दूर है।
महसूस करने को हर वक़्त अपने आस पास तुम्हें महसूस करता हूँ लेकिन दिल में एक कसक हमेशा होती ही है।
उम्र के ऐसे पड़ाव पर मिली हो कि ढंग से दो वक़्त और करने को हज़ार बातें होने के पश्चात् भी चार बातें नहीं कर पाता हूँ।
मैं जहाँ हूँ, जिस मोड़ पर हूँ मुझे सब बेईमानी लगना चाहिए था लेकिन तुम्हारे साथ और तुम्हारे लिए जितना ईमानदार हूँ उतना कभी खुद के लिए शायद ही रहा हूँ।
अपने हर एक गुज़रते वक़्त के साथ मैं तुम्हारे और करीब आता जा रहा हूँ।
जहाँ रहता हूँ उसके आसपास अमलताश और कचनार के कई सारे पेड़ हैं, जो फूलों से लदी होती है। जब भी तुम्हारी याद आती है तो चार फूल तोड़ कर ले आता हूँ क्योंकि इन फूलों की खुशबू मुझे तुम्हारी खुशबू जैसी लगती है।
हर रोज़ एक बार तो ऐसा होता है कि खुद से ऊब जाता हूँ लेकिन फिर तुम्हें सिर्फ सोच भर लेने से खुद पर प्यार आने लगता है।
तुम मेरा सबसे हसीन लम्हा हो और इस लम्हें को मैं जीते रहना चाहता हूँ।
©गोविन्द.
तुम्हें जब देखता हूँ तो खुद को देखने का एहसास होता है। आँखें बड़ी हो जाती है, चेहरे पर मुस्कान और होंठ ख़ुस्क हो जाती है।
बस तुम्हें देखते रहने को दिल करता है, तुम्हारी आँखों पर लिखते रहने का दिल करता है, तुम्हें चूमते रहने का दिल करता है।
लेकिन हर बार हमारे बीच की दूरियाँ हमें याद दिलाती है कि हम कितने मरहूम लोग है जो अपने प्रेम से कोसों दूर है।
महसूस करने को हर वक़्त अपने आस पास तुम्हें महसूस करता हूँ लेकिन दिल में एक कसक हमेशा होती ही है।
उम्र के ऐसे पड़ाव पर मिली हो कि ढंग से दो वक़्त और करने को हज़ार बातें होने के पश्चात् भी चार बातें नहीं कर पाता हूँ।
मैं जहाँ हूँ, जिस मोड़ पर हूँ मुझे सब बेईमानी लगना चाहिए था लेकिन तुम्हारे साथ और तुम्हारे लिए जितना ईमानदार हूँ उतना कभी खुद के लिए शायद ही रहा हूँ।
अपने हर एक गुज़रते वक़्त के साथ मैं तुम्हारे और करीब आता जा रहा हूँ।
जहाँ रहता हूँ उसके आसपास अमलताश और कचनार के कई सारे पेड़ हैं, जो फूलों से लदी होती है। जब भी तुम्हारी याद आती है तो चार फूल तोड़ कर ले आता हूँ क्योंकि इन फूलों की खुशबू मुझे तुम्हारी खुशबू जैसी लगती है।
हर रोज़ एक बार तो ऐसा होता है कि खुद से ऊब जाता हूँ लेकिन फिर तुम्हें सिर्फ सोच भर लेने से खुद पर प्यार आने लगता है।
तुम मेरा सबसे हसीन लम्हा हो और इस लम्हें को मैं जीते रहना चाहता हूं

