STORYMIRROR

Sapna (Beena) Khandelwal

Inspirational

4.5  

Sapna (Beena) Khandelwal

Inspirational

वो बाँसुरी वाला

वो बाँसुरी वाला

1 min
390


वो नन्ही सी बंसरी जिन हस्तों में सज रही

 अधरों को जिसके छू के मधुर धुन है बज रही।

गूंज जिसके स्वरों की सब ओर है बिखर रही

 मोहक ध्वनि जिसकी हृदय को आकृष्ट कर रही।

वो बांसुरी वाला आज मुझे दिख गया

 अनगिनत बांसुरियां सहेजे आज मुझे मिल गया।

 माना कि वो गरीब था

 पर कला से तो अमीर था।

वो साइकिल थामे खड़ा था

 वेणुओं का जिस पर बंडल धरा था।

 वो वेणु वादन में तो प्रवीण था

 पर गलियों का मंच ही उसका नसीब था।

 जहां न उसकी कला की कोई कद्र थी

 जहां न कोई करतल ध्वनि थी।&nb

sp;

 जिस दिन भी वो बांसुरी बेचने आता

 मधुर धुनों के मोती बिखरा जाता।

 वातावरण तो उसका ऋणी हो जाता

 पर काश कोई और तो उसको समझ पाता।

वो तो उस कला को सहेजे था

वो तो उस कला को समेटे था।

 जो मेरे कान्हा की अनुगामिनी थी

 संपूर्ण सृष्टि में जिसकी दीवानगी थी।

 कला क्यों हैसियत के पैमाने पर परखी जाती है

ये बात मेरी समझ में तो कतई ना आती है।

वीथिकाओं में फेरी लगाते ये हीरे

 अनेकानेक हुनर में पारंगत ये नगीने।

 कब आखिर कब हम इनको पहचानेंगे

 कब इनको इनके सम्मान से नवाजेंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational