मृगतृष्णा_१.
मृगतृष्णा_१.
मन के मैले लोग यहाँ पर
तन के उजले भेष में हैं।
मृगतृष्ना की माया जाल
फैला पूरे देश में हैं।
२.
फूलों कि सैज में छुपे हैं काँटे
पग-पग पर यहाँ छल हैं।
इतना समझ लें बस
"जहाँ कमल खिला हैं "
वास्तव में वहाँ दलदल हैं।
३.
मैं समझा हुँ इस दुनियां का हकीक़त
सभो को अवगत कराता हूँ !
अक्सर भटके राहगीरों को
मंजिल मैं दिखलाता हुँ।
४.
विश्वास वाले विश्वास तोड़ेंगे
उम्मीद वाले साथ।
तय करेगा सबकी नीति को
वक्त-वक्त पर हालात।
५.
अति मिठी बोली जहर घोलेगा
जज़्बातो को तोलकर।
भाई -भाई में फुट करेगा
कोई सकुनी मुख खोलकर।
६.
आग लगे यहाँ पानी में
अफवाहों को सम्मान मिले
झुलसे कोई तेज़ धूप में
और किसी को मधुर शाम मिले।