कर्ज_____
कर्ज_____
तुम कितनी कष्ट उठाती नारी
हर पीड़ा दूजों का हरकर,
खुशियों का सुमन बरसाती नारी l
हर दर्द अपना आंसू पीकर,
अपने ज़ख्मों को खुद ही सी कर
रह लेती खामोश बेचारी
कितना कोमल हृदय है तुम्हारा ..औ नारी _२
हर किरदार में तुम ऐसी छाई,
जैसे जिस्म साथ हो परछाई l
कभी माँ , बहन, पत्नी कभी,
हर रूप की धनी हो नारी l
जैसे धरती पर अंबर का साया,
वैसे तेरी आँचल का हमपर साया l
एक से बढ़कर एक वीर आए - गए जहां में,
पर कर्ज तेरा कोई चुका न पाया l
ये धरती यश गाए तेरी,
ये व्योम शीष झुकाता है l
तेरी त्याग, समर्पण, श्रद्धा पर,
पूरी दुनिया गाथा ये गाता है l
तुम सींच कर ये दुनिया सारी,
कर दी हो कितनी प्यारी
तेरी गोद में खेले तेरी फूलवारी,
तुम सा कोई नारी....औ नारी-औ नारी।।