सच्ची प्रेम की अनोखी दास्तां
सच्ची प्रेम की अनोखी दास्तां
पहले पहले प्यार की खुमारी
छाई आंखो में .....
किसी की चाहत कैद हुई
दिल की सलाखों में।
बदली बदली दुनियां अब लगने लगी है
सोई मेरी जीने की आशा जगने लगी है
दिन मेरे गुलज़ार हुए रातें हुईं बहार
वो ऋत छाया ज़िन्दगी में,जिसका था इंतजार
धूप की चुनरी ओढ़ कर नज़र
दीदार का नगमा गाती है....
धड़कन की आवाज पाक मन से
उनको नजारों में बुलाती है
चांद सुनहरा एक चेहरा ठहरा ख्वाबों में
पहला पहला प्यार की खुमारी
छाई आंखो में .....
ओ रंग बिरंगा का गुल खिला
तमन्नाओं की साखों में
पहला पहला प्यार की खुमारी
छाई आंखो में।