ख्यालों के शहर का शोर
ख्यालों के शहर का शोर
ख्यालों के शहर का शोर
कभी यादों कि अम्बर से
उतरकर सामने आ जा
मेरे हमदम...मेरे यारा
मेरे सामने आ जा ...२
तुम्हारे बिन ओ ..मेरा दिन
कोरा गुज़रता है
हो जैसे सावन की बारिश
वैसे आंसू झरता है
कभी आंसू से निकलकर
मेरे उम्मीदों पे चलकर
ये अंधेरा बुझा जा...
कभी यादों कि अम्बर से
उतरकर सामने आ जा
मेरे हमदम....मेरे यारा
मेरे सामने आ जा ....२
ओ मेरे हीर मेरे तकदीर
मेरी वफाओं की तस्वीर
जुदाई की थपेड़ों ने...
मुझे झकझोर किया मुंतज़िर
तेरी ख्यालों की दुनिया में
की मैं रास्ता भूल गया ...
तेरी चाहत के रंगों में
की ऐसे मैं घुल गया
जिगर को दे तसल्ली आ....
मुझे ना और सता....
कभी यादों की अम्बर से
उतरकर सामने आ जा
मेरे हमदम....मेरे यारा
मेरे सामने आ जा ....२