बढ़ता चल
बढ़ता चल
सूर्य के किरणों सी आंखों में ये चमक, आसमान से ऊंची तेरी ये लगन ।
तेरी मेहनत के आगे तो किस्मत भी हो जाए नतमस्तक,तू बहता चल जैसे मलय पवन।।
इस हार के आगे ना पैर थाम,अरे ! किसके जीवन में नहीं होती है शाम ।
अभी खोई नहीं तूने अपनी पहचान,अपने लक्ष्य का भी तू स्वयं लेगा इम्तिहान।।
हारकर अगर तू खुद को कोसता है, अच्छी किस्मत के लिए रोता है |
इन अदृश्य बाधाओं को टोकता है,तू खुद से स्वयं को खोता है।।
इन अड़चनों में वो ताकत नहीं,हिला दे तुझे तेरे लक्ष्य से कहीं ।
अरे बन तो तू एक काबिल राही,तू भी खिल उठेगा बनकर एक सुंदर कली ।।
ना मुड़ कर देख अपना कल,तू अवश्य पाएगा अपनी मेहनत का फल ।
तू बस निरंतर आगे बढ़ता चल,तू बस निरंतर आगे बढ़ता चल।।