चुनौती करो स्वीकार
चुनौती करो स्वीकार
जीवन में समक्ष तुम्हारे, आएंगी बाधाएं अपार।
जोश सदा मन में भरना, न मानना कभी तुम हार।।
गुलों ने यूं तो उल्फ़त की है सदा शूलों से।
शूलों ने भी बख़ूबी साथ निभाया फूलों से।।
दोनों का जीवन मानो, दो जिस्म एक जान है।
इसी तरह से सबका जीवन, केवल कर्म महान है।।
कोई जीवन में परिश्रम से आगे बढ़ता है।
कोई खाली दिनभर बैठे दूसरों से कुढ़ता है।।
कभी संभलना कभी गिरना यही तो संसार है।
कितनी भी आंधी आ जाए चुनौती स्वीकार है।।
चुनौतियों से लड़ने वाले जग में नाम कमा जाते हैं
संघर्षों को पार कर हमें जीवन जीना सिखा जाते हैं।।
(गुल - फूल , उल्फ़त - दोस्ती )