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Ranjeeta Dhyani

Romance

4  

Ranjeeta Dhyani

Romance

अधूरा इश्क

अधूरा इश्क

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इश्क की फ़िज़ाओं ने

मदहोश मुझे कर दिया

बाहुपाश में भरकर मुझे

लबालब उमंग से भर दिया


प्रेयसी मैं प्रियतम की

प्रीत ऐसी लगने लगी

लिख रही थी खत उसे

अश्क धार बहने लगी


मीत से मिलन की चाह बढ़ने लगी

दिल को मनचाही राह मिलने लगी

सैलाब-ए-मोहब्बत उर में उमड़ने लगा

मानो आसमां में परिंदा उड़ान भरने लगा


मगर रह गया फिर भी इश्क अधूरा

मयस्सर ना हो सका वो पल हमें

इश्क-ए-इज़हार का, नींद से जाग उठी मैं

पता चला जनाब वो बस एक ख़्वाब था।


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