आसमां में बेवफ़ा फलक था
आसमां में बेवफ़ा फलक था
वक्त क्या बदला तू भी बदल गई
मैं आज भी वही हूँ जो कल तलक था
मेरी ज़िन्दगी में जब तेरी आहट हुई
संग तेरे आसमां में बेवफ़ा फलक था
तू गुजरे पल के सिवा कुछ भी तो नहीं
में आज भी अपने अतीत का सुनहरा लम्हा हूँ
तेरे आने से कुछ भी बदला नहीं यहाँ
मैं कल भी तन्हा था और आज भी तन्हा हूँ
दो कश्तियों में जो सवार हुआ है
कभी नहीं उसको यहाँ किनारा मिला है
जाने से पहले बस इतना बता देना
बंजर भूमि पर भला कब पुष्प खिला है
अंधेरी रातें संवर कर कल फिर आएंगी
अंधेरे को चीरकर सूरज फिर भी निकलेगा
ईश्क की हक़ीक़त भी जान रहा हूँ
तेरी बातों में अब नादान दिल नहीं पिघलेगा
इतना समझदार भी नहीं था कि
तेरी शातिर आंखों की चमक को पढ़ पाता
शायद ख़ुद से ज़्यादा यक़ीन था तुझ पर था
वरना बेवफ़ाई के काले पन्नों से लड़ पाता।