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Kishan Negi

Tragedy Inspirational

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Kishan Negi

Tragedy Inspirational

गांव और बचपन

गांव और बचपन

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क्या मजबूरी थी जो साथ तूने मेरा छोड़ा

ये सूना-सूना सावन तुझ बिन भाता नहीं

नाराज क्यों हैं बादल जाकर पूछना कभी

झूमता हुआ सावन अब क्यों आता नहीं


टिप-टिप बरसता बारिश का सुथरा पानी

अमुवा की डाल पर सावन का वह झूला

बचपन याद कर हवा के वह शीतल झोंके

आसाढ़ की वह शाम मैं अब तक न भूला


खुद को संवारने गांव से शहर निकल पड़े 

छोड़कर गेहूं की लहलहाती सुनहरी बालियां 

खेत खलियान पीली सरसों पीछे छूट गए 

हमारी इंतजार में थक गई नीम की डालियां



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