STORYMIRROR

Uttam Mukherjee

Tragedy

4  

Uttam Mukherjee

Tragedy

जीवनचक्र

जीवनचक्र

1 min
168

जीवनचक्र की पहिया चलती जाए,

भाग्य की रेखा बदलती जाए।।

मानव है बेबस देखो जीवन रहस्य के पीछे,

जीवनचक्र की गाड़ी आगे मानव है पीछे। 


जीवनचक्र की पहिया चलती जाए,

भाग्य की रेखा बदलती जाए।

जीवनचक्र की गाड़ी परिश्रम रूपी

पेट्रोल से आगे चले बेईमानी रुपी पेट्रोल

जीवनचक्र की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त  कर चले।


जीवनचक्र की पहिया चलती जाए,

भाग्य की रेखा बदलती जाए।

ईश्वर है जीवनगाड़ी के ड्राइवर,

मानव है उस गाड़ी के पैसेंजर।


परोपकार, प्रेम, विनयशीलता,

यात्रा को सफल बनाती है।

छलप्रपंच, धोखा, बेईमानी यात्रा

को कष्टकारी बनाती है। 


जीवनचक्र की पहिया चलती जाए,

भाग्य की रेखा बदलती जाए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy