कहा अब मेरे संघर्ष की सीमा न रही, और धरती की गोद में समाने लगी। कहा अब मेरे संघर्ष की सीमा न रही, और धरती की गोद में समाने लगी।
सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ। सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ।
स्त्रियाँ अपनी तकलीफ़ किसी को नहीं बताती है। स्त्रियाँ अपनी तकलीफ़ किसी को नहीं बताती है।
तक़दीर इन हाथों की रेखाओं में कभी मत देखो ! तक़दीर इन हाथों की रेखाओं में कभी मत देखो !
तुम्हारी सांसो ने मेरे कहे एक-एक शब्द में ऊष्मा भर दी ! वो सारे शब्द तुम्हारी तुम्हारी सांसो ने मेरे कहे एक-एक शब्द में ऊष्मा भर दी ! वो सारे ...
बेरंग होती धरती बेनूर प्रकृति के रंग बेरंग होती धरती बेनूर प्रकृति के रंग