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Namrata Saran

Tragedy Fantasy

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Namrata Saran

Tragedy Fantasy

कैनवास

कैनवास

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कैनवास पर

आड़ी टेढ़ी लकीरों से

कैसे बनाऊं

लता, वृक्ष और पुष्प

पंछियों का कलरव

नदियों की झनझन

पर्वतों की ऊंचाई और

गहराई सागर की....

कहाँ से लाऊं

वो चटकीले रंग 

जो बना सके

सूरज चाँद धरती और अंबर....


बेरंग होती धरती

बेनूर प्रकृति के रंग

कटते वृक्ष, बेघर पंछी

रोती नदियां, विषाक्त वायु

घृणा, वैमनस्य और लहू का रंग

क्या बना पाएंगे....?

मनोहारी चित्र....


धवल कैनवास पर

उकेरी एक काली रेखा

जिसके दोनों छोरों से

टपक रहीं थीं बूंदें...


*आज फिर देखा कैनवास को रोते हुए*



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