सोपान
सोपान
न सानिध्य
न स्पर्श
न कोई शब्द,
बस एक शून्य,
जो भीतर तक
बिंध गया ह्रदय को.
एक उसी शान्त
शून्य मे
निमग्न अन्तर्मन
अनंतिम तृप्ति पा गया.
आबध्द उसी शून्य से
मुखरित ह्रदय मे,
प्रस्फुटित प्रेमांकुर
होते देख रही,
निःशब्द यही शून्य
प्रेम का सोपान है.