STORYMIRROR

Namrata Saran

Tragedy

4  

Namrata Saran

Tragedy

मैं ऐसा टूटा बिखरा

मैं ऐसा टूटा बिखरा

1 min
249

पर्वतों को टूटते देखा

पत्थर पत्थर होकर,


पत्थरों को टूटते देखा

रेत रेत होकर,


आकाश भी टूटा तो

मेघ मेघ होकर,


बिजलियों को टूटते देखा

वेग वेग होकर,


जब भी कोई टूटा जग मे

अंश शेष दे गया,


मै ऐसा टूटा बिखरा

अस्तित्वविहिन रह गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy