मैं ऐसा टूटा बिखरा
मैं ऐसा टूटा बिखरा
पर्वतों को टूटते देखा
पत्थर पत्थर होकर,
पत्थरों को टूटते देखा
रेत रेत होकर,
आकाश भी टूटा तो
मेघ मेघ होकर,
बिजलियों को टूटते देखा
वेग वेग होकर,
जब भी कोई टूटा जग मे
अंश शेष दे गया,
मै ऐसा टूटा बिखरा
अस्तित्वविहिन रह गया।
