आखिरी पत्र पुत्र के नाम
आखिरी पत्र पुत्र के नाम
मैं डटा हूँ सीमा पर
जान लड़ा दूँगा....
अपना देश बचाने को
रक्त की हर बूंद बहा दूंगा....
माटी की रक्षा के खातिर
अगर मिट जाए मेरी हस्ती....
तो मेरे बेटे तुम
सीमा पर बसाना नई बस्ती....
डट जाना सीमा पर
जान हथेली पर रख कर....
मिटा देना वज़ूद उनका
देखे जो हिंद को घूर कर...
हम वीर सपूत
भारत माता के....
हमसे मत टकराना
मिट्टी में मिला देंगे....
एक जवान सौ के बराबर
दुश्मन को दिखला देंगे....
तेरी गोद न खाली होगी
ये कहना मेरी माँ से....
मांग न तेरी उजड़ेगी
ये कहना तेरी माँ से...
शहीद कहाँ मरता कहीं
वो अजर हो जाता है....
ध्रुव तारे सा चमकता है
और प्रखर हो जाता है...
मेरे बेटे कमर कस ले
अब तुझको सीमा पर आना है....
सीने पर खाई है गोली मैंने
मुझको रुखसत पर जाना है...
कह दे मेरी माँ से
बेटे ने कसम निभाई है...
कह दे तेरी माँ से
अब तूने कसम उठाई है.....
ये देश है वीर जवानों का
देश के खातिर मिटने को हर युवा तैयार खड़ा...
किसमें ताकत है जो भारत माता का छू ले आँचल...
मिटा देंगे हस्ती उसकी,,चाटेगा धूल औंधे मुंह पड़ा पड़ा....
जयहिंद... वंदे मातरम
