रिश्ता
रिश्ता
बारिशों ने फिर आज
मुझे छेड़ा है,
भीग जाने के डर से
मैंने दुकूल ओढा है.
खुद को समेटने की कोशिश
बूँद बूँद के हँसने का सबब बनी,
तन भीगा,मन भीगा
ओढा जो दामन भीगा.
भीगने का गम नहीं
ये दस्तूर निभाना है ,
फिर भर आई आँखें
बारिशों का,
अश्कों से रिश्ता पुराना है।
