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Namrata Saran

Romance

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Namrata Saran

Romance

इश्क है ज़िंदा आज भी

इश्क है ज़िंदा आज भी

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मैं न कहती थी

इश्क है ज़िंदा आज भी,

बरसों से यादों की

संकरी टेढ़ी मेढी गलियों में

हाथ थामे चल रहा शांत

इश्क है ज़िंदा आज भी,,


सदी के माथे पर आती सिलवटें

किचकिचाते शहर ,

सिकुड़ते घर, ओछी सोच

साथ साथ चलते रहे,

दीवारों की किरचने झड़ती रही

दरवाज़े बंद होते रहे,,


इश्क का आसमान बहुत बड़ा है लेकिन,

चढ़ती रही मैं युगों की सीढ़ियां

उम्मीदों की अंगुली थामे,

इतिहास पीछे रह गया

कदम आगे बढ़ते रहे,,


कितनी छोटी दिखती है दुनिया

चांद के घर से,

रात भर टपकता रहा इश्क

रुहानी छत से,

गूंजती रही आवाजें

कायनात में मुसलसल,,,

इश्क है ज़िंदा आज भी

इश्क है ज़िंदा आज भी


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