सलाखें बंदिशों के तोड़ आई थीं कभी तुम भी, सलाखें बंदिशों के तोड़ आई थीं कभी तुम भी,
हर राह में खोजा तुझे, हर मंज़िल में खोजा, हर राह में खोजा तुझे, हर मंज़िल में खोजा,
पत्थर मौन रहकर, उड़ान को देते हौसले। पत्थर मौन रहकर, उड़ान को देते हौसले।
सादगी अपनी, लोगो को बेवकूफ़ी लगती, पागल हो इस कदर, लोग दंग रह जाये सादगी अपनी, लोगो को बेवकूफ़ी लगती, पागल हो इस कदर, लोग दंग रह जाये
कसर नहीं छोड़ी पत्थरों ने, राहों में मेरी अड़-अड़ कर कसर नहीं छोड़ी पत्थरों ने, राहों में मेरी अड़-अड़ कर