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Sumit sinha

Tragedy Inspirational

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Sumit sinha

Tragedy Inspirational

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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झंझावातों से लड़-लड़ कर,

संभला हूँ मैं गिर-गिर कर!


कसर नहीं छोड़ी पत्थरों ने,

राहों में मेरी अड़-अड़ कर!


दर पर दस्तक दे रहे दर्द,

संग ग़मों के मिल-मिल कर!


जिसे बसाया दिल में अपने,

दिल तोड़ा दिल में रह-रह कर!


जिन्हें समझता था मैं अपना,

चले गए सब मुड़-मुड़ कर!


बदले में प्यार के जख्म मिले,

निखरा हूँ दर्द सह-सह कर!


दर्दे-ग़म को दबा सीने में,

खुश हूं खुशियां चुन-चुनकर!


हैरान है बेरहम जमाना,

जी उठा हूं मर-मर कर!


       


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