रोटी
रोटी
वक्त से मेरा
गहरा नाता,
कहीं मोटी,
कहीं पतली हूं,
मैं... दो वक्त की रोटी हूं !
कहीं अमीरों की
थाली में,
घी में लिपटी
मिलती हूं,
मैं... दो वक्त की रोटी हूं !
घर गरीबों के
अक्सर,
साथ नमक के
दिखती हूं,
मैं.. दो वक्त की रोटी हूं !
कहीं सुवासित
स्वेद कण से ,
कहीं रंजित
रक्त से होती हूं,
मैं.. दो वक्त की रोटी हूं।
बंटने पर मैं
प्यार बढ़ाती,
पल में भूख
मिटाती हूं,
मैं.. दो वक्त की रोटी हूं।