नज़र तुम्हें ढूंढ़ा करती है
नज़र तुम्हें ढूंढ़ा करती है
कल-कल करती नदी की धारा,
सांझ की बेला.... शांत किनारा!
हवा चल रही मंथर चाल.....
मानो कह रही दिल का हाल....!
अटूट प्रेम की अपूर्ण कहानी
सुनाते हैं पंछी अपनी ज़ुबानी..!
जलधारा की बहती रवानी..
कैसे भुलाऊं याद सुहानी...!
नदी साक्ष्य है.. मधुर मिलन का
किरणें सूरज की.. प्रेम तरंग का
हवा सुवासित प्रेम सुगंध से...
कण-कण गाती प्रेम की गाथा..!
शांत नदी है.. हृदय है विह्वल
उद्वेलित धड़कन.... जलधारा निर्मल
मंद हवा है... तीव्र है यादें...
उस पर पंछी की ये बातें...
ढलती सांझ भी..
मानो कहती है....
नज़र तुम्हें ढूंढ़ा करती है...!