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राजेश "बनारसी बाबू"

Classics Inspirational Others

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राजेश "बनारसी बाबू"

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रानी लक्ष्मी बाई की पुण्य तिथि

रानी लक्ष्मी बाई की पुण्य तिथि

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वीरता और शौर्य की यह बेमिसाल कहानी थी

वह कोई और नहीं स्वयं मां चंडी झांसी वाली रानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

अदम्य साहस और वीरांगना की यह कहानी पुरानी थी

मातृ भूमि के लिए मर मिटना यह शौर्य गाथा इनकी मुंह जुबानी थी

उनकी पुण्य तिथि पर यह तथ्य समझ में आता है।

रानी लक्ष्मी बाई का हम भारतीयों से जैसे जन्मो जन्मो का नाता है

हम सबको सीखा गई वो हर तकनीक बता गई वो

हम स्त्री है कमजोर नहीं है हम पर किसी का जोर नहीं

शहादत से पहले साथी मुदीर को बचाया था

अंग्रेज को दो टुकड़ा करना उन्होंने बखूबी हमें सिखाया था

अकेले रानी जी को घेर कर सबने उन पे वार किए 

वो सब कायर मिलके एक अबला पर कसके कैसे आंखों पे वार किए

सोनरेखा नाला पार न कर सकीं वो

घोड़े पर घायल खून से लथपथ पड़ी रही वो

गंगा दास आश्रम में वीरांगना ने अपना प्राण त्याग था

आप स्वयं थी मां दुर्गा की अवतार ऐसा हम सबने ऐसा माना था

18 जून, 1858 को रानी की शहादत की घोषणा हुई

रानी लश्मीबाई जैसे वीरांगना अब स्वर्ग की ओर रुखसत हुई वो



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