STORYMIRROR

राजेश "बनारसी बाबू"

Classics Inspirational Others

4  

राजेश "बनारसी बाबू"

Classics Inspirational Others

रानी लक्ष्मी बाई की पुण्य तिथि

रानी लक्ष्मी बाई की पुण्य तिथि

1 min
368


वीरता और शौर्य की यह बेमिसाल कहानी थी

वह कोई और नहीं स्वयं मां चंडी झांसी वाली रानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

अदम्य साहस और वीरांगना की यह कहानी पुरानी थी

मातृ भूमि के लिए मर मिटना यह शौर्य गाथा इनकी मुंह जुबानी थी

उनकी पुण्य तिथि पर यह तथ्य समझ में आता है।

रानी लक्ष्मी बाई का हम भारतीयों से जैसे जन्मो जन्मो का नाता है

हम सबको सीखा गई वो हर तकनीक बता गई वो

हम स्त्री है कमजोर नहीं है हम पर किसी का जोर नहीं

शहादत से पहले साथी मुदीर को बचाया था

अंग्रेज

को दो टुकड़ा करना उन्होंने बखूबी हमें सिखाया था

अकेले रानी जी को घेर कर सबने उन पे वार किए 

वो सब कायर मिलके एक अबला पर कसके कैसे आंखों पे वार किए

सोनरेखा नाला पार न कर सकीं वो

घोड़े पर घायल खून से लथपथ पड़ी रही वो

गंगा दास आश्रम में वीरांगना ने अपना प्राण त्याग था

आप स्वयं थी मां दुर्गा की अवतार ऐसा हम सबने ऐसा माना था

18 जून, 1858 को रानी की शहादत की घोषणा हुई

रानी लश्मीबाई जैसे वीरांगना अब स्वर्ग की ओर रुखसत हुई वो



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics