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राजेश "बनारसी बाबू"

Tragedy

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राजेश "बनारसी बाबू"

Tragedy

अंकिता भंडारी की हत्या

अंकिता भंडारी की हत्या

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मुझे गोली मार दो मुझे बलात्कार नही करवाना है

मुझे अपने बहनो और बेटियों को नेताओं के भेंट नही चढ़वाना है

मुझे बचा लो मुझे बचा लो जब मै चिल्लाई थी

कितनी चीखी मै रोई कितनी मै घबराई थी

लेकिन तब तुम कातिलों को एक बहन पे रहम ना आई थी

मुझे प्रतीत नही था की 17 सितम्बर मेरी आखिरी रात होगी

चीला नहर मे बंह रही मेरी लाश होगी

एक लड़की के दर्द को जानते हो क्या ?

भावुक कहने वाले मर्द खुदको पहचानते हो क्या ?

मुझे विशेष लोगो को निजी सेवा देने को कहलवाते हो

नशे मे धुत होकर जहां तहां कैसे गले लगाते हो

क्या हो जाता यार जब तुम जिस्म के भूखे भेड़िया बन जाते हो

यार तुम भी तो हो भाई और पिता किसी के 

हे इंसान फिर हैवान क्यू बन जाते हो?

चीला नहर मे मै डूबते वक़्त 

जिंदगी जीने की गुहार लगाई थी

जिस्म के भूखे वंहशी तुझको मुझपे न तरस आया था

जब तक ये जंता सोती रहेगी

हर घर की बहु बेटी रोती मिलेगी

आज नेता की दबंगई जीत गई

मै रोते रोते देखो टूट गई

मै आत्म निर्भर हो जाऊ क्या यही मेरी गलती है?

एक लड़की का पैदा होना सबसे बड़ा गलती है?

भवंरी देवी उन्नाव और निर्भया का जब जब ये मामला सामने आया है।

यह बात बस रांहो पर मोमबत्ती जुलूस तक हीं सिमट आया है

आखिर कब तक अंधेरों से डरना पड़ेगा ?

कब तक हमे बलात्कार और यातना सहना पड़ेगा?

कब तक हमे सुनसान जगह देख के डरना पड़ेगा?

जब उसने मेरी हाथ पकड़ी थी।       &

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ना जाने कितनी बार मै सिसकी तड़पी थी

वो तो मै ही जानती हुँ  

मै लड़की हुँ ना तुम मर्दो की

मानसिकता पहचानती हूं

जिनके हाथ मे देश का बागडोर हो 

उनके सपूत घिनौना बलात्कार कार्य करते है

नाजुक सी अबला पर कहा कहा वार करते है

17 सितम्बर मै अंकिता लापता हुई

मेरे शव मिलने से लोगो की इंसानियत जाग उठी

क्या सरकार एक बेटी की इज्जत वापस लाएगी क्या?

क्या सरकार मेरी प्राण वापस लाएंगी क्या?

दो दीन बाद हो सकता फिर से यह घटना घटे

सरकार को हों सकता यह बुरा सपना लगे

आज मैने अपनी आत्म सम्मान के रक्षा हेतू अपना प्राण गवाया है

लेकिन मेरे हत्या करने वाले तेरे चहरे पे शिकन ना आया है

सिस्टम इनकी मुठ्ठी में है 

पैसा राजनीति इनकी शक्ति में है

दोस्त मैने तुम्हे व्हाट्सअप चैट मे बताया था

मुझे उस रात ना खुद पर रोना आया था

बड़ा असुरक्षा महसूस होता है यार?

कभी कभी बहुत घबराहट होता है यार?

मै गरीब हूंँ तो क्या महज चंद रुपये के लिए बिक जाऊं क्या?

अपनी अश्मत् इन वहशियों से लुटता देख पाऊं क्या?

अब मुझसे सहा नहीं जाता है यार

अब यहाँ फब्तियाँ सुना नहीं जाता है यार

अब मुझे ये जगह छोड़ना है यार?

मुझें भी जिंदा रहना है यार?

काश मै भी जिंदा रह पाती यार

अपनी आपबीती आप सब से कह पाती यार?


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