STORYMIRROR

राजेश "बनारसी बाबू"

Drama Action Inspirational

4  

राजेश "बनारसी बाबू"

Drama Action Inspirational

विषम परिस्थिति आई है

विषम परिस्थिति आई है

1 min
13


विषम परिस्थिति आई है

नहीं कहीं सुनवाई है

अपनों से उम्मीद टूट रही

सब ने औकात दिखाई है

कलयुग में ना कोई भाई भाई है

किस्मत मुझसे रूठ गईं है

सब ने मुँह बिचकाई है

यह कैसी रुसवाई है

कौन है अपना कौन पराया

सब झूठा है मोह और माया

सब ने असली रूप दिखाया

रिश्तों ने क्या सबक सिखाया

मुश्किल पल में रंग दिखाया

परिस्थिति ने हमें समझाया

यहाँ ना कोई भाई भाई है

दोस्त भी जैसे कसाई है

अब रिश्तों की समझ आई है

बातें भी लगे हवा हवाई है

बहानो की फुलझड़ी दिखाई है

मुश्किल घड़ी आई है

कहां कोई सुनवाई है

अब कलयुग नाच नचाई है

नेत्रों में अश्रु दिखाई है

हाथ में निराशा ही आई है 

अब यहाँ नहीं कोई अपना

यह बात हमें समझ आई है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama