अंधेरा
अंधेरा
उस अंधेरे कमरे से मेरा कुछ इस तरह
रिश्ता जुड़ी हुई है जैसे इंसान की अपनी परछाई से।
हांँ,उस बंँद अंधेरा कमरा मुझे पसन्द है,
क्यों कि सिर्फ उसी ने मुझे रोते हुए देखा है।
मैं खुदको आजाद पाती हूंँ उस अंधेरे कमरे में,
वरना रोशनी ने तो आज तक सिर्फ
मुझे बांँध के रखा है अपने कैद में।
उसी ने ही सिखाया है उजाले के बगैर जीना,
खैर छोड़ो मुश्किल है यह बात दूसरों को समझाना।
लोग बोलते हैं कि यह क्या पागलपन है
जो रहती हो दुनिया के नजरों से दूर
बस उस अंधेरों से घिरा हुआ चार दीवारों में,
तो मैं आज सबको बता देती हूंँ कि
जब दुनिया की भीड़ में खुद को अकेला पाओगे तो
तुम भी आकर रोओगे उसी अंधेरे कमरे में।
