मेरी आशिकी तुमसे ही
मेरी आशिकी तुमसे ही
वो मुझमें कुछ इस तरह समा गई,
कि उसको याद करते करते पता न चला कब सुबह से शाम हो गई।
न जाने मुझे कब और कैसे उससे इतनी लगाव हो गई,
अब उसकी आवाज़ ही मेरी नींद की गोली बन गई।
आज कल मेरी नजर उससे हटती ही नहीं,
क्योंकि उसके सिवाए कोई और मुझे भाती नहीं।
उसकी आँखों में एक चमक थी,
शायद उसी के वजह से मेरे जिंदगी में भी रौनक थी।
उसकी चूड़ियों की खनक में एक राहत थी,
क्योंकि वही तो मेरी चाहत थी।
उसकी एक मुस्कान ही मेरे सारे दर्द को मिटा देता था,
यही तो सिर्फ है जो मुझे सुकून दिलाता था।
उसकी हाथ मुझे जिंदगी भर के लिए मांँगना है,
और इसलिए मुझे कड़ी से कड़ी मेहनत करके उसकी काबिल बनना है।
जिस दिन कामयाबी मेरी कदम चूमेगी,
बेशक उसी दिन वो मेरी होगी।