बस आश है यही
बस आश है यही
क्या खूब कहा था किसी ने,
के सब्र का फल मीठा होता है।
आज जाकर पता चला
जो भी होता है अच्छे के लिए होता है।
पहले मैं सिर्फ तुम्हें ही सोचना चाहती थी,
पर आज तुम मेरे सोच में ही बस गए हो।
ऐसे कोई आज तक मिला नहीं जिससे मैं दुनिया भर की बातें कर सकूँ,
पर जबसे तुम से मिली हूँ मानो तुम मेरी दुनिया बन गए हो।
एक दिन था जब सुख दुःख सब अपने अन्दर छुपा देती थी,
तुम्हारे आने के बाद कुछ छुपाना चाहूँ तो अब कुछ छिपती नहीं।
मेरे जिंदगी में तुम आए कुछ इस तरह
प्यासा तरसता है पानी के लिए कुछ उस तरह।
अब रब से कुछ मांगूँ ऐसी कोई चाहत खास नहीं,
बस जिंदगी भर तुम्हारा साथ रहे सिर्फ आस है यही।

