परेशान हूँ बिगड़ी हुई क़िस्मत से साथ दे कर अपना तक़दीर संवरने दो परेशान हूँ बिगड़ी हुई क़िस्मत से साथ दे कर अपना तक़दीर संवरने दो
इमारत के पीछे से उदित होता हैं जहां से कोई किरण, शायद हर दिल की झोंपड़ी तक नहीं पहुंच इमारत के पीछे से उदित होता हैं जहां से कोई किरण, शायद हर दिल की झोंपड़ी तक न...
तेरे बगैर नींद कभी ना आती जाने कैसे कट रही थी रातें । तेरे बगैर नींद कभी ना आती जाने कैसे कट रही थी रातें ।
तेरे बिना बारिश की बूँदें बेगानी सी लगे है तेरे बिना बारिश की बूँदें बेगानी सी लगे है
रात भर बारिश के साथ दर्द सीने से निकलता रहा रात भर बारिश के साथ दर्द सीने से निकलता रहा
सड़क किनारे फुटपाथ पर, गुजर-बसर करता हुआ सड़क किनारे फुटपाथ पर, गुजर-बसर करता हुआ