अधूरी मोहब्बत
अधूरी मोहब्बत
सूनी सूनी अंखियों से
बूँद बूँद झलकता रहा
रात भर बारिश के साथ
दर्द सीने से निकलता रहा
साथ दिया एक गुलदस्ते ने हमारा
आशियाँ में मेरे वही सुलगता रहा
आज चाँद भी मुरझाया था
शायद उसकी खूबसूरती पर,
कोई हँसता रहा
मोहब्बत प्यासी रही उनकी गलियों में
एक मजनूँ उनके दीदार को तरसता रहा

