यहां न कविता है ना ही गजल है और ना ही यहां गीत है बस............... चंद कतरे है खून के बिखर गए इन पन्नों पर ये न आँसू है ना ही आहें फक्त सिसकियां है राख है मेरे जले दिल की पसर गई है धरती के आँचल पर -------------- ---------------- ..........चेतन.............
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